Promoter Holding क्या है | प्रमोटर कितने शेयर रख सकता है

आज के इस लेख में हम समझेंगे की Promoter Holding Kya Hai, प्रमोटर कौन होता है, प्रमोट का मतलब क्या होता है, कंपनी का प्रमोटर वह होता है जो सुरुआत में कंपनी एक व्यक्ति या 2 व्यक्ति या ग्रुप भी हो सकता है वह कंपनी में निवेश करने के लिए जो धन जुटाते है उनको कंपनी का मालिक या प्रमोटर कहते है.

प्रमोटर होल्डिंग क्या होती है?

अब हम समझेंगे की पोमोटर होल्डिंग क्या होती है? इसका मतलब होता है की उस कंपनी के टोटल शेयर में प्रमोटर/मालिक का कितना प्रतिशत हिस्सा होता है. सुरुआत में 100% मालिक का ही हक़ होता है और यदि साझेदारी हो तो किसने कितने पैसे लगाये है इस हिसाब से कंपनी प्रमोटर्स को 40%, 30%, 50% की हिस्सेदारी हो सकती है.

इस तरह से आम जनता का कोई भी हिस्सा नहीं होता है जब तक कंपनी IPO नहीं लाती है या फिर आप secondary market से शेयर खरीदते है. इतना करने के बाद ही आप कंपनी के हिस्सेदार बनेंगे.

Example – यदि किसी कंपनी के टोटल शेयर्स 100 है और कई निवेशक ने 20 शेयर को खरीद लिया. तभी प्रमोटर के पास 80 शेयर रह जाते है जो 80% शेयर होल्डिंग हुई जिसे हम promoter holding कहते है.

क्या प्रमोटर कंपनी के मालिक हैं (Promoter Holding Kya Hai)

प्रमोटर वह व्यक्ति होता है जो किसी कंपनी को सुरु करने के लिए निवेश करे, अब वह 1 या 2 या 3 या 4 भी हो सकते है जो एक समूह बनाकर कंपनी में निवेश करे, या फिर कोई निवेशक जो कंपनी की इक्विटी में पैसा लगाया हो. इतना ही नहीं बल्कि शेयर के मालिक होने के साथ-साथ बिज़नस में और भी जिम्मेदारियां होती है.

प्रमोटर होल्डिंग का क्या महत्व है?

आप जब भी निवेश करने के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेते है तो वो भी कंपनी की प्रमोटर होल्डिंग को देखता है. आपने youtube विडियो में देखा होगा की जब कोई एक्सपर्ट शेयर मार्किट में निवेश करने की बात करता है तो वो शेयर होल्डिंग के बारे में जरुर बतायगा. इससे हमें पता चलता है की ये कितनी जरुरी है.

प्रमोटर/मालिक के पास अधिक होल्डिंग होनो चाहिए जिससे कंपनी पर उसका कंट्रोल रह और सभी फैसले प्रमोटर ले सके. यदि किसी भी प्रमोटर के पास 45%-50% शेयर होल्डिंग है तो भी ठीक है लेकिन यदि 70% लगभग है तो बहुत ही अच्छा है. लेकिन कंपनी नियम के अनुसार 70% या 75% से ज्यादा होल्डिंग रखने की अनुमति नहीं है. यदि कोई 80% प्रमोटर होल्डिंग रखता है तो उसे कुछ समय के बाद में 70% या 75% होल्डिंग तक लानी होती है.

ऐसा करते समय शेयर की कीमत गिरती है. प्रमोटर होल्डिंग को 2 तरह से कम किया जा सकता है. एक तो प्रमोटर अपने शेयर को बेच दें या फिर शेयर प्लेस कर दें. अब ये शेयर प्लेस क्या है इसके बारे में भी जानना जरुरी है. Promoter Holding Kya Hai

प्लेज शेयर (pledge share) क्या है?

जब भी नई कंपनी तैयार होती है तो उसे जल्दी बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है जिसके लिए कंपनी IPO लाती है. यदि कंपनी किसी से लोन लेती है तो वह लों देने वाला कुछ सिक्यूरिटी तो मांगता है. इस स्थति में प्रमोटर अपने कुछ शेयर को गिरवी रख देता है. लोन लेने के लिए वह किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट से संपर्क करते है.

मान लीजिये की कंपनी ने 50 हजार रूपए का लोन लिया और 1 शेयर की कीमत 500 है ऐसे में 100 शेयर को प्लेस करने पर 50 हजार हो जायेंगे. कंपनी लोन को चुकाने में असमर्थ रही तो बैंक इन 50 हजार गिरवी पड़े शेयर्स को बेच कर अपने लोन की भरपाई कर लेगी.

लेकिन जब भी कंपनी शेयर प्लेस करती है तो SEBI के नियमो के अनुसार मार्किट में जानकारी देनी होती है. और जैसे ही ये बात मार्किट में पता चलती है तो सभी निवेशक हडबडा जाते है. उसी समय शेयर को बेचने लगते है फिर शेयर की कीमत गिरती है. ऐसे में दूसरे निवेशक भी शेयर को खरीदने से पीछे हट जाते है.

शेयर कीमत X प्लेज शेयर = लोन कीमत

500 X 100 = 50 हजार

मान लीजिए –

अब उस शेयर की कीमत 500 से घटकर 200 हो गई तो ऐसे में बैंक के पास रखे गिरवी शेयर की कीमत 20 हजार हो गई. इस तरह तो बैंक को नुक्सान हो जायगा. फिर बैंक कंपनी प्रमोटर को कहते है की अब आप हमें 30 हजार रुपय की पूर्ति के लिए 150 शेयर्स और दें.

अब प्रमोटर के पास 2 रस्ते है या तो बैंक को उतनी कीमत के शेयर दें या उतने पैसे जमा करे. इस तरह ही ये चलता रहता है. प्रमोटर के पास होल्डिंग कम होने लगती है. जब यह खबर मार्किट में फैलती है की इस कंपनी ने बैंक को और शेयर गिरवी रख दिए है.

जैसे-जैसे शेयर की कीमत गिरती जाती है बैंक उस प्रमोटर से बोलता रहगा की अब और शेयर गिरवी रखो क्योकि शेयर का दाम गिर रहा है. ये साइकिल ऐसे ही चलती रहती है जब तक कंपनी बैंक से लिया हुआ लोन वापस नहीं करती है.

जब बैंक उन शेयर को बेचती है तो शेयर की demand and Supply कम होने लगती है और फिर शेयर का दाम बहुत ज्यादा गिर जाता है ऐसी बहुत सी कंपनी है जो pledge share करने के चक्कर में उनके शेयर बैंकों के पास जाते रह और और शेयर की कीमत गिरती रही और आखिर में वह कंपनी दिबलिया/बंद हो गई.

क्या आपको share pledge करने वाली कंपनी में निवेश करना चाहिए & नुक्सान

हमें कभी भी share pledge करनी वाली कंपनी में निवेश नही करना चाहिए. यदि आप ऐसा सोचते हो की कुछ दिन बाद कंपनी लोन जमा कर देगी तो जैसा की मैंने ऊपर लेख में बताया है की कंपनी बंद भी हो जाती है.

यदि आप share holding को देखकर निवेश करते है तो आप नुकसान के भागीदारी बन जाओगे. शेयर होल्डिंग तो सभी कंपनी के पास 50% या 60% होती ही है लेकिन क्या पता उसने अपने शेयर को बैंक में गिरवी रख दिया हो.

  1. Unitech Ltd –
  2. Tree House Education & Accessories Ltd.

प्रमोटर होल्डिंग का क्या महत्व है?

अब हम प्रमोटर होल्डिंग का क्या महत्व समझते है.

  • प्रमोटर होल्डिंग अधिक होनी चाहिए जिससे हम उस कंपनी पर ज्यादा भरोसा कर सकते है. यदि कोई प्रमोटर अपनी होल्डिंग को धीरे-धीरे कम कर रहा है तो ये संदेश मार्किट में निवेशकों को पता लग जाता है और वह समझ जाते है की यह कंपनी अब खतरे में चल रही है. अब अपने शेयर को बेचकर निकलना ही सही रहगा.
  • वैसे तो प्रमोटर के पास और भी तरीके होते है जिससे वह फंड इकट्ठा कर सके. लेकिन सभी रस्ते बंद होने के बाद प्रमोटर अपने शेयर को गिरवी रखने का फैसला लेता है. इसलिए कम प्रमोटर होल्डिंग और शेयर प्लेज अच्छा संकेत नहीं है.
  • जब भी कंपनी अच्छा परफार्म करेगी तो शेयर की कीमत बढती है और प्रमोटर को कोई शेयर बेचने की जरूरत नहीं होगी.
  • आप जब भी किसी कंपनी में लम्बे समय के लिए निवेश करे तो उस कंपनी का 5 वर्ष पुराना रिकॉर्ड जरुर देखे. यदि प्रमोटर होल्डिंग पैटर्न में बढ़ती हुई दिखाई दे रही है तो ऐसे में कंपनी भरोसेमंद है. और पैटर्न कम होता हुआ दिखाई दे रहा है तो समझो कंपनी पर खतरा है.
  • प्रमोटर होल्डिंग ही नहीं बल्कि हमें सभी फंडामेंटल को देखना चाहिए. किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कंपनी अपने share pledge करती है जिससे कुछ समय बाद कंपनी को अच्छा मुनाफा होता है.
  • यदि प्रमोटर होल्डिंग के कम होने पर DII और FII ज्यादा है तो आप उस कंपनी में निवेश कर सकते है.

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