धान की खेती Step By Step & Dhan Ki kheti Kaise Kare
भारत में तीन ऋतुएँ होती हैं-
Dhan Ki kheti Kaise Kare- जाड़ा, गर्मी तथा बरसात. इन तीनों ऋतुओं के अनुसार फसलों को रबी, खरीफ व जायद में बाँटा गया है, जो फसलें वर्षा ऋतु में उगाई जाती हैं उन्हें खरीफ की फसल, जो फसल शीत ऋतु में उगाई जाती हैं रबी की फसल एवं जो फसल गर्मी की ऋतु में उगाई जाती है जायद की फसल कहलाती है.
वर्षा ऋतु में जो फसलें उगाई जाती हैं उनमें धान की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, धान खरीफ की प्रमुख फसल है । धान की उन्नत खेती के लिए निम्नलिखित बातों की जानकारी होना आवश्यक है-
- अनुशंसित प्रजातियों का चयन, जलवायु, मिट्टी, सिंचाई के साधन, जल भराव तथा बुवाई एवं रोपाई की अनुकूलता के अनुसार करना चाहिए.
- प्रमाणित बीजों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए.
- समय पर रोपाई की जानी चाहिए.
धान की खेती कैसे करे? (Dhan Ki kheti Kaise Kare? Step By Step
- भूमि की तैयारी– भूमि की तैयारी का अर्थ खेतों की जुताई, समतलीकरण एवं मेंड़बन्दी करने से है, खेतों की मेंडबंदी करके 2-3 जुताइयाँ गर्मी के समय में ही करनी चाहिए. मेंड़बंदी से वर्षा का पानी खेतों में संचित होता रहता है. रोपाई के समय खेत में पानी भरकर जुताई करनी चाहिए.
- प्रजातियों का चयन– फसलों की पैदावार पर धान प्रजातियों का अधिक प्रभाव पड़ता है. अतः क्षेत्र के अनुसार उचित प्रजातियों का चयन करना आवश्यक होता है.
- शुद्ध एवं प्रमाणित बीज- धान प्रमाणित बीज रोपने से उत्पादन अधिक मिलता है. अतः किसान को सिफारिश करके प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिए. किसानो को प्रमाणित बीज से उत्पन्न बीज को (अपने खेत का बीज) दूसरे साल बीज के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे उत्पादन कम हो जाता है.
- उर्वरकों (खाद) का संतुलित प्रयोग एवं विधि- उर्वरकों (खाद) का प्रयोग सदैव मृदा या मिट्टी जाँच या परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए.
(अ) सिंचित दशा में- (पानी भरने के स्थति में) “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
इस स्थिति में नाइट्रोजन 120kg, फास्फोरस 60kg एवं पोटाश 60kg किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई (रोपाई का मतलब- पौधे या बीज एक स्थान से लाकर दूसरे स्थान पर लगाने की होने वाली क्रिया को रोपाई कहते है)
के एक या दो दिन खेत में देना चाहिए. नाइट्रोजन की शेष मात्रा को बराबर दो भागों में बाँटकर कल्ले निकलते समय एवं बाली निकलने से पूर्व छिड़क देना चाहिए.
( ब ) सीधी बुवाई में- “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
धान की बुवाई सीधे खेतों में छिटक कर भी की जाती है. इस दशा में अधिक उपज देने वाली प्रजातियों में नाइट्रोजन 100kg, फास्फोरस 50kg तथा पोटाश 50kg किग्रा प्रति हेक्टेयर दिया जाता है. नाइट्रोजन की एक – चौथाई मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा पूँड़ में बीज के नीचे डालना चाहिए. नाइट्रोजन का दो – चौथाई भाग कल्ले फूटते समय तथा शेष एक – चौथाई भाग बाली बनने से पूर्व प्रयोग करना चाहिए.
- नर्सरी- Dhan Ki Nursery Kaise Taiyar Kare? “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई (रोपाई का मतलब- पौधे या बीज एक स्थान से लाकर दूसरे स्थान पर लगाने की होने वाली क्रिया को रोपाई कहते है) के लिए महीन धान का 30 किग्रा, मध्यम धान का 35 किग्रा और मोटे धान का 40 किग्रा बीज पौधा तैयार करने के लिए पर्याप्त होता है.
एक हेक्टेयर नर्सरी से 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई होती है. नर्सरी में पौधों की उचित बढाने के लिए 100 किग्रा नाइट्रोजन एवं 50 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. नर्सरी में खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किग्रा जिंक सल्फेट का 2 प्रतिशत यूरिया के साथ घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए.
नर्सरी में कीड़ों से फसल को बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफास 20 ई.सी. ( इमल्सन कन्सेंट्रेट ) का 1.5 लीटर को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
धान की खेती किस महीने में होती है? Dhan Ki kheti Kaise Kare?
- रोपाई का समय व विधि- (dhan ki kheti kis mahine mein hoti hai)
धान रोपाई में लाइन से लाइन 15-20 सेमी और पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखी जाती है. एक स्थान पर 2-3 पौधे 3-4 की गहराई पर लगाए जाते हैं. नर्सरी में पौधे 20-25 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. पौधों की रोपाई धान की खेती जून (Jun) महीने में होती है के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के अंत तक की जाती है.
- खरपतवार का समय व विधि-
धान की बुवाई या रोपाई करने के 20-25 दिन बाद उगे हुए खरपतवारों को खुरपी, हो या पैडी वीडर की सहायता से निकाल देना चाहिए. रोपाई वाले धान के खेत में घास – फूस एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु ब्यूटाक्लोर (50 ई.सी.) 3 से 4 मीटर अथवा ब्यूटाक्लोर 5 प्रतिशत ग्रेन्यूल 30-40 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है.
हमें ध्यान रहे की जब भी कोई बीमारियाँ खेत में लगती है तो हमें दवाई लगते समय खेत में पानी होना बहुत जरुरी है. (खरपतवार नाशक रसायनों का प्रयोग करते समय खेत में 4 से 5 सेमी पानी भरा होना आवश्यक है)
- फसल सुरक्षा कैसे करे? “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
धान के खेत में रोपाई से कटाई तक विभिन्न प्रकार के कीड़े एवं रोग लगते हैं. धान में लगने वाले प्रमुख कीट; जैसे- दीमक, गंधी बग, सैनिक कीट, हरा फुदका, पत्ती लपेट कीट तथा तना छेदक आदि होते हैं.
दीमक- धान में दीमक की दवा “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
धान की जड़, तने एवं पत्तियों को असिंचित दशा में बुवाई किए हुए पौधों को दीमक खाकर नष्ट कर देते हैं. दीमक से बचने के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए. फसलों के अवशेष को नष्ट कर देना चाहिए एवं कच्चे गोबर का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
गंधी बग – धान की खड़ी फसल में हरे रंग के लंबे बेलनाकार कीड़े दिखते हैं उसे गंधी बग कहते हैं. इसके शिशु व प्रौढ़ दोनों, दुग्धावस्था में बालियों के रस चूस लेते हैं और बालियाँ सफेद हो जाती हैं.
नियंत्रण कैसे करे?
(क) खेत को खरपतवार से पूरी तरह मुक्त रखना चाहिए.
(ख) 5 प्रतिशत मैलाथियान धूल का 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से फसलों पर छिड़काव करना चाहिए.
बालियाँ काटने वाले कीट ( सैनिक कीट ) –
इस कीट की सूड़ियाँ दिन में कल्लों व मृदा या मिट्टी की दरारों में छिपी रहती हैं, ये कीट रात में निकल कर पौधों पर चढ़ जाते हैं और धान की बालियों को काट कर जमीन पर गिरा देते हैं.
नियंत्रण कैसे करे? “Dhan Ki kheti Kaise Kare”
इससे नियंत्रण हेतु इंडोसल्फान 35 ई ० सी ० का 1.25 लीटर या क्लोरोपाइरीफास 20 ई० सी० का 1.50 लीटर 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर 10-15 दिन के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करना चाहिए.
रोग- धान की फसल में निम्नलिखित प्रमुख रोग लगते हैं- 1. खैरा रोग 2. जीवाणु झुलसा रोग
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